Friday, November 13, 2009

Kabhi aapne akele baith kar socha hai ki ham itani bhaagam bhaag kyon kar rhe hain?

2 comments:

  1. Jindgi ki bhagembhag m kuch der is prkar beth ker socha ja sekta h.Aap n ek bachye k chiter k dawra bhut hi Achhi baat kehi h.Aap ko sadhu-bad.
    NARESH MEHAN

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  2. नन्ही मासूम बेटिओं के नाम :
    बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की तीन कविताएँ
    १.
    मम्मी - पापा
    कितने अच्छे ,
    मुझको यह ,
    दुनिया दिखलाई,
    ऐसे कई हैं
    मम्मी - पापा
    कोख से ही
    कर देते विदाई.
    २.
    कितनी भोली
    कितनी प्यारी
    उन तक
    पहुँच रही
    किलकारी,
    फूल कहें या
    तितली मुझको ,
    सूरत सबसे
    न्यारी - न्यारी
    ३.
    कसरत कर
    मजबूत बनूंगी,
    खुद की रक्षा
    खुद करूंगी.
    बेटा बनकर
    करूंगी काम,
    तब फैलेगा
    जग में नाम.

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